सोमवार, 14 सितंबर 2020

रिश्तों में गलत फहमी कैसे दूर करें

 रिश्तों में गलत फहमी कैसे दूर करें How to handle misunderstandings in relationship


क्या आपके रिश्तों में भी तनाव Misunderstanding Remove tips in Relationship शुरू हो गया है। आप बहुत चाहते है कि रिश्तों में तनाव को खत्म किया जाए लेकिन लड़ाई झगड़़े खत्म होने के बजाय ज्यादा बढ़ते चले जा रहे है। जरा सोचित आखिर शादी के कुछ समय तक तो सब सही चला लेकिन समय के साथ आप के रिश्तों के बीच कड़वाहड़ पैदा होती चली गई।

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 इसका कारण क्या है कभी आपने सोचा है। ज्यादातर रिश्तों में लड़ाई का कारण केवल गलतफहमी होती है जो दूर नहीं हो पाती तो कभी इगो प्राब्लम होती है जिसके कारण आपके रिश्ते खराब होते चले जाते है। अगर आप के रिश्ते लगातार हो रहे झगड़ों से खराब हो रहे है तो आपको ये उपाय अपनाने चाहिए ताकि आपके रिश्ते सही हो सकें।

एक दूसरे को ना समझ पाना

कई बार एक दूसरे के बहुत प्यार करने वाले केवल एक गलत फहमी की वजह से एक दूसरे के दुश्मन बन जाते है । ज्यादातर कपल्स यह सोचने लगते है कि आपका पार्टनर आपके बारे में नहीं सोचता वह केवल अपने बारे में या अपने परिवार के बारे में सोचता है। जिसके कारण समय के साथ साथ उनके बीच की खाई बढऩे लगती है। 

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विशेषकर जब बहुत जल्दी वह नाराज़ या उदास हो जाते हों और कम्यूनिकेट करने के बारे में केवल सोचते ही रह जाते हों. असली परेशानी यह है कि अपनी तरह से साथी की बात का मतलब निकालना या अपनी बात कहने में ईगो का आड़े आना, धीरे-धीरे फलता-फूलता रहता है और फिर इतना बड़ा हो जाता है कि ग़लतफ़हमी झगड़े का रूप ले लेती है. एक बार जब हम कम्यूनिकेशन न करने के निगेटिव चक्र में फंस जाते हैं, तो उसमें से निकलने या उसे सुधारने में बहुत व़क्त लग जाता है.

एक दूसरे को धोखा देना 

रिश्तों के खराब होने की यह सबसे आम कारण पाया जाता है। इसमें एक साथी यह सोचने लगता है कि उसका दूसरा साथी किसी ओर के साथ रिश्ते में है। इस बात को मानने के पीछे कोई ठोस आधार नहीं होता लेकिन बेमतलब या किसी और के बहकावे में आकर वह ऐसा सोचने लगता है जिसके कारण कई बार रिश्ता टूटने की नोबत तक आ जाती है। 

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जब भी आपको महसूस हो कि आपका साथी किसी उलझन में है और आपको शक भरी नजऱों से देख रहा है, तो तुरंत सतर्क हो जाएं. हो सकता है आपका किसी से हंसकर बोलना या अपने कलीग की तारीफ़ करना ग़लतफ़हमी पैदा कर रहा हो. ऐसा संकेत मिलते ही पार्टनर से बात करें और बताएं कि किसी को दोस्त कहना या उसके साथ ज़्यादा व़क्त गुज़ारने का मतलब विवाहेतर संबंध नहीं होता. याद रखें, चाहे पति हो या पत्नी- दोनों ही अपनी-अपनी तरह से पार्टनर को लेकर पज़ेसिव होते हैं और इस बात का सम्मान करें.

केवल अपने बारे में ही सोचना

पति पत्नी के रिश्तों के बनाए रखने का एक सबसे मजबूत धागा विश्वास और एक दूसरे के साथ का होता है। आपको अपने पॉर्टनर से कुछ नहीं छिपाना चाहिए। और कोशिश करने चाहिए कि अपने पार्टनर की हर प्रकार से कोशिश करें। कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय लेते समय यह सोच लेना चाहिए कि आपका पार्टनर का भी क्या मत होगा।

क्योंकि जब आप खुद ही निर्णय लेने लगते है तो इससे एक समय के बाद आपके पार्टनर का आप पर से भरोसा उठ जाता है जिसके कारण कई बार आपके रिश्ते खराब हो जाते है इस लिए कोशिश कीजिए कि अपने हर महत्वपूर्ण निर्णय में अपने पॉर्टनर की राय आवश्य ले।

जिम्मेदारियों से भागना 

कई बार पॉर्टनर जिम्मेदारियों को उठाना नहीं चाहते। जब आप जिम्मेदारी से भागते हो तो कहीं ना कहीं आप अपने पॉर्टनर से भी भागते हो जिसके कारण आपके पॉर्टनर के मन में यह सवाल उठता है कि क्या वह मुझे प्यार नहीं करता है ? जिसके कारण वह आपका पूरा ख्याल नहीं रखता है। कहीं वह किसी मजबूरी के कारण मेरे साथ तो नहीं रह रहा है। । इन सबसे बचने के लिए आपको अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाना होगा। और हर परेशानी का हंस कर सामना करना होगा तभी आप अपने पॉर्टनर का भरोसा जितने में सफल हो पाएगे। 


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 मैरिज काउंसलर्स मानते हैं कि रिश्ता जि़ंदगीभर कायम रहे, इसके लिए तीन मुख्य जि़म्मेदारियां अवश्य निभाएं- जीवनसाथी से प्यार करना, उस पर गर्व करना और अपने रिश्ते को बचाना.



वर्क और कमिटमेंट

आजकल जब महिलाओं का कार्यक्षेत्र घर तक न रहकर विस्तृत हो गया है और वह हाउसवाइफ की परिधि से बाहर निकल आई हैं, ऐसे में पति के लिए आवश्यक है कि वह उसके काम और कमिटमेंट को समझे और कद्र करे. बदली हुई परिस्थितियों में उन्हें पूरा सहयोग दे. रिश्ते में आए इस बदलाव को हैंडल करना पति के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है, क्योंकि यह बात आज के समय में ग़लतफ़हमी की सबसे बड़ी वजह बनती जा रही है. इसके लिए दोनों को ही एक-दूसरे के काम के कमिटमेंट्स के बारें में डिस्कस कर उसके अनुसार ख़ुद को ढालना होगा.


मेरी परवाह नहीं है

पति या पत्नी किसी को भी ऐसा महसूस हो सकता है कि उसके पार्टनर को न तो उसकी परवाह है और न ही वह उसे प्यार करता है. सच्चाई तो यह है कि विवाह 'लविंग और केयरिंगÓ के आधार पर टिका होता है. जब जीवनसाथी के अंदर 'इग्नोरÓ किए जाने या ग़ैरज़रूरी होने की फीलिंग आने लगती है, तब ग़लतफ़हमियों की दीवारें खड़ी होने लगती हैं.

 रिश्तों में दूसरों का हस्तक्षेप

लगभग हर रिश्ते में दूसरे लोग हस्तक्षेप करते है लेकिन जब यह हस्तक्षेप पति और पत्नी के रिश्ते में किया जाता है तो इसका परिणाम घर तोडऩे के रूप में दिखाई देता है।  जब दूसरे लोग, चाहे वे आपके ही परिवार के सदस्य हों या मित्र या रिश्तेदार हों, आपकी जि़ंदगी में हस्तक्षेप करने लगते हैं, तो ग़लतफ़हमियां खड़ी हो जाती हैं. 

ऐसे लोगों को कपल्स के बीच झगड़ा कराकर संतोष मिलता है और उनका मतलब पूरा होता है. यह तो सर्वविदित है कि आपसी फूट का फ़ायदा तीसरा व्यक्ति उठाता है. पति-पत्नी का रिश्ता चाहे कितना मधुर क्यों न हो, उसमें कितना ही प्यार क्यों न हो, पर असहमति या झगड़े तो फिर भी होते हैं और यह अस्वाभाविक भी नहीं है. 

जब ऐसा हो, तो किसी तीसरे के हस्तक्षेप करने की बजाय स्वयं उन मुद्दों को सुलझा लें, जो आपको परेशान कर रहे हों. याद रखें, अपनी समस्याएं केवल आप ही सुलझा सकते हैं, कोई तीसरा नहीं.

सेक्स को नजऱअंदाज़ न करें

सेक्सुअल रिलेशन वैवाहिक जीवन में ग़लतफ़हमी की सबसे अहम् वजह है. पति-पत्नी दोनों ही चाहते हैं कि उनका पार्टनर उन्हें प्यार करे और उसका साथ उन्हें ख़ुशी देता है. पार्टनर को पास आने दें. सेक्स लाइफ को एंजॉय करें. जब आप दूरियां बनाने लगते हैं, तो शक और ग़लतफ़हमी दोनों ही रिश्ते को खोखला करने लगती हैं. आपका साथी आपसे ख़ुश नहीं है या आपसे दूर रहना पसंद करता है, यह रिश्ते में आई सबसे बड़ी ग़लतफ़हमी बन सकती है.

ग़लतफ़हमियों को दूर करने के उपयोगी ट्रिक्स Misunderstanding Remove tips in Relationship

  • अपने पार्टनर से नाराज़ होकर बोलचाल बंद करने की बजाय उससे बात करें. लेकिन उस समय जब वह सुनने के मूड में हो व परेशान या दुखी न हो. यदि वह क्रोधित हो, तो बात न छेड़ें और उनके तनावमुक्त होने का इंतज़ार करें.
  •  दोष न दें. जो हुआ उसके लिए साथी को दोषी न ठहराएं. ऐसा करने से वह आपकी बात सुनेंगे ही नहीं. जो हुआ, उससे कैसे निबटा जाए, इस पर बात करें.
  •  ग़लतफ़हमी को कुछ समय की नाराजग़ी समझ नजऱअंदाज़ न करें. उसे तुरंत सुलझा लें.
 
  •  यदि ख़ुद सही ढंग से साथी से कम्यूनिकेट न कर पा रहे हों, तो मैरिज काउंसलर की मदद लें.
 
  •  अपने पार्टनर की बात को बहुत ध्यान व धैर्य से सुनें. बेशक आपको बुरा लग रहा हो, पर बात पूरी होने के बाद ही कुछ कहें या निर्णय लें. संवादहीनता रिश्तों को सबसे ज़्यादा खोखला करती है. जीवनसाथी के मन की बात जाने बिना आप उसे दोषी कैसे कह सकते हैं.
 
  • अगर ग़लती हुई है, तो 'सॉरी कहने में हिचकें नहीं. इस तरह से आप यह बताते हैं कि अपनी ग़लतियों की जि़म्मेदारी उठाने में आप पीछे नहीं रहते हैं.
 
  •  माफ़ करने की आदत डालें. पार्टनर ने आपको ग़लत समझा, कोई बात नहीं. उसे माफ़ कर दें, क्योंकि आप दोनों ने बहुत अच्छा समय एक-दूसरे के साथ बिताया है.
 
  •  समझौतावादी बनें. शादी की सफलता व ख़ुशी दोनों की ही यह चाबी है. एक-दूसरे की भावनाओं व इच्छाओं का अगर सम्मान करते हैं, तो ग़लतफ़हमी होने का सवाल ही नहीं उठता. लेकिन उसके लिए आपको ख़ुद की भावनाओं और इच्छाओं पर नियंत्रण रखना और समझौता भी करना होगा.
 
  • जो हुआ उसे भूल जाएं. ग़लतफ़हमियां होती हैं, पर दूर भी हो जाती हैं, उन्हें याद दिलाकर जीवनसाथी को कोसे नहीं.


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